भूरी का फिर से पैर भारी है

कालू -भूरू और भूरी की दिन रात की मेहनत रंग लाई

एल आर गांधी

भूरी का फिर से पैर भारी है ,कालू -भूरू और भूरी की दिन रात की मेहनत रंग लाई  और उनका परिवार तीन से तेरहं  हो गया है, हमारे देवी जी अपने नित्य कर्म में सुबह के वक्त भूरी को दूध डालना कभी नहीं भूलती !और हाँ ! शाम को तीनो घर के समक्ष कतार में बैठे ब्रांडे की ओर टकटकी लगाए देखते रहते हैं की कब मालकिन उनके परांठे परोसेंगी हम भोजन मांगें तो सम्राट अशोक देखने के बाद और उनके परांठे सम्राट से पहले। भूरी परिवार का मोहल्ले पर अब एकाधिकार है  कोई बाहरी श्वान भूल से भी उनके एरिया की सड़क ‘सूंघ’ के तो दिखाए सभी कालू -भूरू बहन -भाई टूट पड़ते हैं और बेचारा परदेसी अपनी टांगों में पूंछ दबा कर भाग खड़ा होता है।

dogs_cute_ritual
यदि कालू -भूरू और भूरी का यह , हम  दो  हमारे तेरहं का खेल यूँही चलता रहा तो  वह दिन दूर नहीं जब ये अपनी दिन रात की मेहनत के सदके ‘उनको ‘ भी पीछे छोड़ देंगे जो एक की चार और चार के चौदहं की स्पीड से बढ़ रहे हैं

 या अल्लाह मेरे भारत को इस प्रतिस्पर्धा से बचाओ

Leave a Comment

Jun 13, 2025 03:15 PM IST
Ad