एम4पीन्यूज़ (चमोली)
राजा-रानी के किस्सों से यूं तो साहित्य जगत पटा पड़ा है लेकिन एक राजा-रानी की कहानी ऐसी भी है, जो केवल हिमालय की गोद में बसी फूलों की घाटी में ही सुनाई देती है। इसपर कोई किताब नहीं लिखी गई लेकिन इस घाटी में आते ही यह कहानी खुद-ब-खुद जुबानी होने लगती है।
घाटी में राजा भी फूल है, रानी भी फूल और प्रजा भी फूल। जी हां, उत्तराखंड के चमौली जिले में घंगारिया शहर के नजदीक वैली ऑफ फ्लावर, जिसे फूलों की घाटी कहा जाता है, वहां पर सदियों से यह कहानी दोहराई जा रही है। इस फूलों की नगरी में एस्टेरेसी कुल के ब्रह्म कमल फूल को किंग ऑफ हिमालयन फ्लावर का दर्जा प्राप्त है जबकि पापावेरासिया कुल की हिमालयन ब्लू पॉपी क्वीन ऑफ हिमालयन फ्लावर कहलाती है। यह राजा-रानी सदियों-सदियों से 600 से भी ज्यादा तरह के फूलों की प्रजा पर एकछत्र राज करते आ रहे हैं। कहा जाता है कि दुनिया में कोई ऐसी जगह नहीं है जहां यह राजा-रानी एक जगह खिलकर फूलों की नगरी में राज करते हैं।
1931 में ब्रिटिश पर्वतारोही ने खोजी थी वैली
बेशक यह घाटी सदियों से गुलजार हो रही है लेकिन इस घाटी का पता सबसे पहले 1931 में ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस स्मिथ और उनके साथी आर एल होल्डसवर्थ ने लगाया था। यह दोनों पर्वतारोही अपने कामेट पर्वत के अभियान से लौट रहे थे लेकिन अचानक रास्ता भटक कर घाटी में आ पहुंचे। घाटी की खूबसूरती से प्रभावित होकर स्मिथ 1937 में इस घाटी में वापस आये और, 1938 में वैली ऑफ फ्लॉवर्स नाम से एक किताब लिखी।
Brahma flowers
Brahma flowers

ब्रह्म फूल “भगवान ब्रह्मा” का फूल

ब्रहम कमल की सबसे बड़ी खासियत है कि यह कमल पानी की बजाए धरती पर पैदा होता है। यह कमल रात में खिलता है और सुबह होने तक मुरझा जाता है। इस सुगंध सर्वोपरि होती है व पंखुडियों से टपकने वाला पानी अमृत। भाग्यशाली व्यक्ति ही इसे खिलता हुआ देख पाते हैं। ब्रह्म फूल के बारे में कई कहानियां जुड़ी हैं। हिन्दू धर्म ग्रंथों में सृष्टिकर्ता भगवान ब्रह्मा के हाथ में जो कमल है, वह ब्रह्म कमल ही है। किवदंती यह भी है कि जब पांडवों को वनवास हुआ तो द्रोपदी को अलकनंदा नदी में स्नान के दौरान ब्रह्म कमल बहता हुई दिखाई दिया। यह ब्रह्म कमल खिला और तुरंत मुरझा गया। भीम ने रहस्य पता किया तो पाया कि खिले हुए फूल के दर्शन काफी दुलर्भ होते हैं। रामायण में भी ब्रह्म कमल का वर्णन मिलता है। कहा जाता है कि जब लक्ष्मण मूर्छित हुए तो हनुमान जी ने हिमालय से संजीवनी बूटी लाकर मूर्छा दूर की। इसपर देवी-देवताओं ने हनुमान जी पर फूल बरसाए। यह फूल फूलों की घाटी में आकर गिरे, जहां वह ब्रह्म कमल के नाम से पहचाने गए।
Queen of Himalyan Flower
                                                                                                                Queen of Himalyan Flower

रानी हिमालयन ब्लू पॉपी 

हिमालयन ब्लू पॉपी को खोज पाना आसान नहीं है। किवदंती है कि रानी काफी शर्मिली है और राजा की सल्तनत में वह अपनी आरामगाह में ही मौज करती है। यह फूल भूटान का राष्ट्रीय फूल है लेकिन वैली ऑफ फ्लावर ही एक ऐसी जगह है, जहां यह ब्रह्म कमल के साथ दिखाई देती है। किवदंती यह भी है कि इस फूल को खोज पाना येती को खोजने जितना दुलर्भ है। माना जाता है कि इसकी पहचान 1850 में की गई लेकिन 1922 में ब्रिटिश पर्वतारोही जार्ज मैलोरी ने इसे खोजकर ब्रिटिश रॉयल हार्टिकल्चर सोसायटी के सामने प्रस्तुत किया।
डांसिंग लिली मानों नृत्य कर रही
फूलों की घाटी में गुलजार होने वाली फूलों की अपनी खूबियां हैं। डांसिंग लिली तो ऐसी है मानों नृत्य कर रही हो। इसी तरह, स्नैक लिली, कोबरा लिली दूर से सांप जैसी दिखाई देती हैं। जब फूलों की घाटी में फूल खिलते हैं तो पूरी घाटी रंग-बिरंगी चादर ओढ़ लेती है। मौसम के बदलते मिजाज के साथ घाटी का रंग बदलता रहता है। यूं लगता है, जैसा कायनात अपने वस्त्र बदल रही हो।

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