एम4पीन्यूज।
सेल्फी के दीवाने भारत में पहली बार सेल्फी से बीमार होने के मामले सामने आए हैं। राजधानी दिल्ली के अस्पतालों ने पांच केस की पुष्टि की है। इन मामलों में किसी को सेल्फीसाइड है तो कोई बॉडी डिस्मोर्फिक डिसऑर्डर से ग्रस्त है। दुनिया में सबसे ज्यादा सेल्फी के शौकीन भारत में हैं।
छात्राएं ज्यादा शिकार
देश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एम्स और गंगा राम अस्पताल में इन बीमारियों से ग्रस्त मरीज इलाज के लिए आए हैं। एम्स में कुल दो मामले आए हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय की 18 वर्षीय छात्रा भी इनमें से एक है। वो एम्स के ईएनटी विभाग में इलाज के लिए पहुंची थी। एम्स के डॉक्टर नंद कुमार ने बताया कि वो अपनी नाक की सर्जरी के लिए आई थी। उसे अपनी नाक में दिक्कत लगती थी। जब उसकी जांच की गई तो नाक में कोई गड़बड़ी नहीं थी। डॉक्टर ने बताया कि वो बॉडी डिस्मोर्फिक डिसऑर्डर की शिकार थी। बता दें कि एम्स में रिया समेत ऐसे ही तीन मरीज आ चुके हैं।
क्या है बॉडी डिस्मोर्फिक डिसऑर्डर
इस बीमारी में इंसान अपने चेहरे या शरीर के अंग से संतुष्ट नहीं हो पाता। अच्छा दिखने के लिए बदलाव चाहता है। सेल्फी के कारण लोग इससे ग्रस्त होते हैं। एम्स में रिया का इलाज करने वाले डॉक्टर के अनुसार, फेसबुक या इंस्टाग्राम जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर सेल्फी अपलोड करने की सनक से लोग इसके पीडि़त हो जाते हैं। रिया ने इलाज के दौरान बताया कि वो रोजाना 6 से 7 तस्वीरें अपलोड करती थीं। दूसरे से अच्छा दिखने के कारण उसमें बार-बार सेल्फी लेने की ललक बढ़ती गई।
व्यवहार में बदलाव
दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में भी सेल्फीसाइड और बॉडी डिस्मोर्फिक डिसऑर्डर के दो मरीजों की पुष्टि हुई। अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि दोनों मरीज लड़कियां हैं। इन्हें सेल्फीसाइड है। इनका उपचार किया जा रहा है।
दरअसल, सेल्फीसाइड एक मानसिक बीमारी है। इसका असर मरीज के व्यवहार पर भी देखने को मिलता है। अस्पताल में इलाज करने वाली दोनों लड़कियों के माता-पिता ने बताया कि वे ज्यादातर समय मोबाइल कैमरे के साथ बिताना पसंद करने लगी थीं। अगर उन्हें कोई ऐसा करने से मना करता या कैमरा व स्मार्टफोन मांगता तो अजीब से आक्रामक तरीके से पेश आने लगी थीं।