-वित्त मंत्री अरुण जेटली करेंगे बजट पेश

एम4पीन्यूज।दिल्ली 

नोटबंदी के बाद 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार बुधवार को अपना तीसरा व ऐतिहासिक आम बजट पेश करेगी। इसमें हर वर्ग को खुश करने, रोजगार और अर्थव्यवस्था में तेजी बनाये रखने की बड़ी चुनौती होगी। रेल बजट भी 92 वर्ष बाद आम बजट हिस्सा होगा।

 

वित्त मंत्री अरुण जेटली बजट पेश करेंगे। पहले बजट 28 फरवरी को पेश करने की परंपरा थी, लेकिन मोदी सरकार ने बजट में की जाने वाली घोषणाओं को एक अप्रैल से लागू करने के उद्देश्य से इसे करीब एक महीने पहले पेश करने की शुरुआत की है। इसमें रेल बजट को समाहित कर दिया गया है।
ये भी पहली बार :
– देश के आर्थिक इतिहास की सबसे अहम घटनाओं में से एक नोटबंदी के बाद ये सरकार का पहला बजट है। अर्थव्यवस्था पर जो असर हुआ है उसका सटीक आंकड़ा इस बजट में पेश किया जा सकता है।

– सरकार पहली बार देश के बजटीय इतिहास में योजना खर्च और गैर योजना खर्च को खत्म कर सकती है।

– कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के बाद पहला बजट है। ऑनलाइन और डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ाने के लिए कुछ ऐलान हो सकते हैं।

ये हो सकते हैं ऐलान :
– इनकम टैक्स में राहत मिल सकती है। हालांकि टैक्स स्लैब की निचली सीमा में बदलाव होने की गुजाइश कम है। आईटी एक्ट के सेक्शन 87ए में छूट का दायरा बढ़ेगा।

– होम लोन के ब्याज पर इनकम टैक्स छूट बढ़ने की संभावना है और 50,000 रुपये की अतिरिक्त छूट मुमकिन है। राजीव गांधी इक्विटी सेविंग्स स्कीम में बदलाव संभव है। निवेशकों की सालाना आय की सीमा बढ़ सकती है और 50,000 रुपये की मौजूदा सीमा बढ़ाई जा सकती है।

– बजट में रोजगार बढ़ाने पर खास फोकस हो सकता है। रोजगार से जुड़ी एक या दो बड़ी योजनाओं का एेलान हो सकता है। मौजूदा योजनाओं के तहत फंड का
आवंटन बढ़ सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों की योजनाओं में ज्यादा खर्च बढ़ाया जा सकता है।

– मनरेगा और कृषि सिंचाई योजना में ज्यादा फोकस हो सकता है।

– सर्विस टैक्स बढ़ाकर 16 फीसदी किया जा सकता है। जीएसटी की छवि बजट में दिख सकती है, और इससे आम आदमी पर बोझ मुमकिन है।

– मेक इन इंडिया को बूस्टर मिलेगा। कच्चे माल का इम्पोर्ट सस्ता हो सकता है। तैयार माल का इम्पोर्ट महंगा किया जा सकता है।

 

राष्ट्रपति ने की चुनाव सुधार की वकालत :
बजट सत्र के पहले दिन संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के अभिभाषण का जोर मोदी सरकार की उपलब्धियों पर रहा। उन्होंने लोकसभा और सभी विधानसभा चुनाव एक साथ कराने व धन का दुरुपयोग रोकने को सरकारी खर्च पर चुनाव कराने की वकालत की।

 

उन्होंने कहा कि मेरी सरकार लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने पर विचार करने का स्वागत करती है। सरकार इस संबंध में चुनाव आयोग द्वारा राजनीतिक दलों से बातचीत करने के निर्णय का स्वागत करेगी।

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