एम4पीन्यूज।
पहले इमीग्रेशन बैन और अब ग्रीन कार्ड पर अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप की कैंची. सात मुस्लिम देशों पर ट्रैवल बैन लगाने के बाद अब अमेरिका की संसद में एक संशोधन प्रस्ताव दिया गया है जिसके मुताबिक अमेरिका अगले 10 साल तक वहां कानूनी तौर पर रहने वाले इमीग्रेंट्स की संख्या को घटाकर आधी कर देगा.
क्या है ये ग्रीन कार्ड :
दरअसल ग्रीन कार्ड नाम की कोई चीज नहीं होती. किसी दूसरे देश से आकर अमेरिका में बसे लोगों को वहां काम करने और रहने के लिए एक कार्ड बनाया जाता है जिसे यूनाइटेड स्टेट्स पर्मानेंट रेसिडेंट कार्ड कहा जाता है . यह कार्ड उन्हें यूनाइटेड स्टेट्स लॉफुल पर्ममानेंट रेसिडेंसी के तहत दिया जाता है. पहले इसे एलियन रजिस्ट्रेशन कार्ड भी कहा जाता था.
इसके तहत इमीग्रेंट्स को दिए जाने वाले कार्ड का रंग हरा होता है इसलिए यह ग्रीन कार्ड कहा जाने लगा. जिन लोगों को यह कार्ड मिलता है वो अमेरिका में हमेशा के लिए रह सकते हैं और वहां काम कर सकते हैं.
ग्रीन कार्ड्स की वैलिडिटी 10 साल की होती है जिसके बाद इसे या तो रीन्यू कराना होता है या फिर यह नया जारी होता है. ग्रीन कार्ड एक इमीग्रेशन प्रोसेस को भी कहा जाता है जिसके जरिए इमीग्रेंट्स को वहां की पर्मानेंट सिटिजनशिप दी जाती है.
ग्रीन कार्ड्स की मुख्य बातें
– हर साल अमेरिका में 10 लाख लोगों को ग्रीन कार्ड दिए जाते हैं.
– ग्रीन कार्ड होल्डर अमेरिका के सिटिजन नहीं होते और न ही वोट कर सकते.
– ग्रीन कार्ड होल्डर्स को वहां के सिटिजन न होने तक अमेरिकी पासपोर्ट नहीं मिलता.
– ग्रीन कार्ड होल्डर्स को अमेरिकी इनकम टैक्स फाइल करना होता है.
– ग्रीन कार्ड होल्डर्स को अपनी प्राथमिक सिटिजनशिप अमेरिका की रखनी होती है.
– भारतीयों को ग्रीन कार्ड के लिए करना होता है 10 से 35 साल का इंतजार.
– 50 लाख लोग अभी भी कर रहे हैं ग्रीन कार्ड का इंतजार.
भारतीयों से पैसा वसूलता है अमेरिका जो वापस नहीं देता
भारत से अमेरिका जाकर कमाई करने वाले लोगों से उनकी सैलरी का लगभग 30 फीसदी तक पैसे बतौर टैक्स काट लिए जाते हैं. वो उन्हें वापस तब मिलता है जब वो वहां 5 साल तक काम करते हों. लेकिन इनमें से ज्यादातर 5 साल से पहले ही वापस आ जाते हैं. ऐसी स्थिति में पैसा वहीं रह जाता है जो अमेरिका की जीडीपी में अहम रोल निभाता है.
ग्रीन कार्ड के लिए बढ़ेगा इंतजार
साल 2015 में अमेरिका ने लगभग 63 हजार भारतीयों को ग्रीन कार्ड दिया था. जबकि इसी साल दुनिया भर के 7 लाख 30 हजार लोगों को अमेरिका की सिटिजनशिप देने के लिए ग्रीन सिग्नल दिया गया. नई पॉलिसी आने के बाद इनकी संख्या आधी हो जाएगी और ऐसी स्थिति में जो भारतीय ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे थे उनका इंतजार लंबा हो जाएगा.