एम4पीन्यूज।दिल्ली 

रोशनी मिस्बाह, जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के ‘अरैबिक एंड कल्चरल स्टडीज’ डिपार्टमेंट में पढ़ाई करती हैं। कॉलेज में सभी रोशनी को ‘हिजाबी बाइकर’ कहते हैं। क्योंकि रोशनी स्पोर्ट्स बाइक चलाती हैं लेकिन हिजाब लेना नहीं भूलतीं।

मिस्बाह एक नामी न्यूज़ चैनल से बातचीत कर रही थीं। कहती हैं, “बाइकिंग हमेशा से मेरे जीन्स में था..मुझे पता था..मुझे बाइक चलानी था..लेकिन कब? ये एक बड़ा सवाल था।” एक और बड़ी सही बात कही मिस्बाह ने, “हिजाब कभी भी किसी चीज़ में रुकावट नहीं हो सकती। ये तो मेरी लाइफ का हिस्सा है, मेरे कल्चर का हिस्सा और ये मेरी चॉइस है।”

जामिया के लोगों के लिए ये एक बिल्कुल ही नया एक्सपीरियंस था। चाहे वो वहां के टीचर हों या फिर वहां के बच्चे। लेकिन आज की तारीख में हर कोई रोशनी के साथ खड़ा है। यहां तक कि जामिया के अंदर मिस्बाह को अलग से पार्किंग की जगह भी दी गई है।

रोशनी कहती हैं, “जब कभी भी मैं बाहर निकलती हूं, बाइक लेकर हमेशा औरतें, बच्चे सभी चिल्लाने लगते हैं। अच्छा लगता है कि चलो शायद मैं किसी को तो कहीं से थोड़ा भी इंस्पायर कर पा रही हूं।”

रोशनी आगे चल कर प्रोफेशनल रेसर बनना चाहती हैं। लेकिन सबसे ख़ास बात जो सीखने लायक है वो ये कि हम आप हर छोटी-छोटी बात पर खुद के लिए कोई बहाना ढूंढ लेते हैं। मैं ये नहीं कर सकता/सकती क्योंकि…फिर कुछ वजह। लेकिन एक बड़ी सही कहावत है, ‘जहां चाह वहां राह!’

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