एम4पीन्यूज।
बैंगलुरु में होने वाले द्विवार्षिक आयोजन एयरो इंडिया का आगाज आज से हो रहा है. दो साल में एक बार होने वाले एयरो-इंडिया शो के लिए इस बार 549 कंपनियां शिरकत कर रही हैं जिनमें 279 विदेशी कंपनियां शामिल हैं. तीनों सेनाओं के तेज रफ्तार आधुनिकिकरण में लगे भारत को 100 से ज्यादा विमानों की जरूर है. एशिया के बड़े विमानों मेलों में से एयरो इंडिया का आयोजन एअरफोर्स स्टेशन येलहंका में तक किया जा रहा है. जो कि 14 फरवरी से लेकर 18 फरवरी तक चलेगा. जिसके लिए देश-विदेश से फौजी और सिविल विमान जुटे हैं. आसमानी ताकत के इस उत्सव में जहां एक ओर लड़ाकू विमानों का शक्ति प्रदर्शन नजर आएगा तो वहीं हवाई करतब टीमों के कारनामे देखने वालों को रोमांचित करेंगे.
प्रदर्शनी में 72 विमानों को प्रदर्शित किया जाएगा :
इस प्रदर्शनी में विश्व भर के रक्षा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियां अपने उत्पादों का प्रदर्शन करेंगी. चार दिवसीय इस कार्यक्रम में 270 भारतीय कंपनियां और 279 विदेशी कंपनियां हिस्सा लेंगी. प्रदर्शनी में 72 विमानों को प्रदर्शित किया जाएगा. यह कार्यक्रम बेंगलुरू के येलाहांका वायुसेना स्टेशन पर आयोजित किया जा रहा है, जो 18 फरवरी तक चलेगा.
अपने सफर के दो दशक पूरे कर चुके एयरो-इंडिया में इस बार 51 देश नुमाइंदगी कर रहे हैं जिसमें से 23 मुल्कों के अपने स्टॉल होंगे. मेले में अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, रूस, इज़राइल, जर्मनी, बेल्जियम, स्विट्जरलैंड, यूक्रेन, सिंगापुर, स्वीडन, स्पेन, इटली, संयुक्त अरब अमीरात, दक्षिण कोरिया, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया समेत कई मुल्कों की कंपनियां अपने उत्पाद लेकर उतरेंगी.
मेक इन इंडिया की आस
मेक इन इंडिया के तहत साझेदारी की उम्मीद के साथ कई विदेशी कंपनियों की कोशिश के साथ करोबार का नाता जोड़ने की है. इस कड़ी में अमेरिकी टीम एफ16सी फाइटिंग फाल्कन, पी8ए और सी130जे के साथ बंगलोर पहुंची है. गौरतलब है कि भारतीय वायुसेना ने कुछ बरस पहले सी130 जे सुपर हरक्यूलिस विमानों को अपने बेड़े में शामिल किया है. वहीं पी8ए की तर्ज पर भारत के लिए तैयार किए गए पी8आइ समुद्री निगरानी विमान भारतीय नौसैनिक बेड़े का हिस्सा है.
कुछ समय पहले भारतीय वायुसेना के लिए हुई 126 लड़ाकू विमानों की खरीद कवायद में अमेरिकी एफ16 और स्वीडिश कंपनी साब का युद्धक विमान ग्रिपिन भी शामिल हुए थे. बाद में इस प्रक्रिया में कुछ बदलावों के साथ भारत ने फ्रांस से 36 राफेल विमान खरीदने का फैसला किया था. मगर खरीद की आस में अब एफ16 और ग्रिपिन दोनों ही भारत में मेक-इन-इंडिया साझेदारी के लिए अब कतार में हैं. उल्लेखनीय है कि भारत अब नई शर्तों के साथ विमान खरीदना चाहता है जिससे उसे तकनीकी साझेदारी का भी मौका मिले. शो के दौरान इस रणनीतिक साझेदारी की गाइडलाइंस का ऐलान संभव है.
मेले में दिखेगा देसी का दम
एअरो इंडिया शो में एक मौका विदेशी मेहमानों के आगे भारतीय सैन्य उत्पादों की नुमाइश का भी होगा. हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड भी स्वदेशी बेसिक ट्रेनर एयरक्राफ्ट HTT-40 दिखाएगी. हॉक का देश में अपग्रेड किया गया वर्जन हॉक आई भी उड़ान भरेगा. इंडियन मल्टिरोल हेलिकॉप्टर का मॉडल भी होगा. इसके अलावा भारतीय वायुसेना के लिए तैयार किए गए स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस की खरीद में दिलचस्पी रखने वाले इसकी ताकत का नमूना देख सकेंगे.
आसमानी अलबेलों के कारनामे
एयरो-इंडिया-2017 में पिछले दो एयर शो में हिस्सा नहीं ले सकी भारतीय वायुसेना की एयरोबेटिक्स टीम सूर्यकिरण इस मेले में अपनी वापसी करेगी. इसके अलावा हेलिकॉप्टर एयरोबेटिक टीम सारंग भी अपने जलवे दिखाएगी. शो में स्वीडन की स्केंडिनेवियन एयर शो टीम और ब्रिटेन की इवोल्वोकस एरोबेटिक टीम के हैरतअंगेज करतब भी देखने को मिलेंगे. इसके अलावा अमेरिकी वायुसेना के एफ16 विमान अपनी ताकत दिखाएंगे तो साथ ही भारत और अमेरिकी पैराट्रूपर के साझा करतब की भी योजना है.
सूर्यकिरण एरोबैटिक्स टीम की 6 साल बाद वापसी :
पिछले 2 एरो शोज में हिस्सा न ले सकी एयरफोर्स की सूर्यकिरण एरोबैटिक्स टीम की 6 साल बाद वापसी होगी, जो हॉक विमानों से कलाबाजी दिखाएगी। चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी एयरफोर्स के 5 अधिकारी अपने देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। चीन की हिस्सेदारी पहले भी रही है, लेकिन पहली बार 5 बड़े अधिकारी इसमें आ रहे हैं।