एम4पीन्यूज|चंडीगढ़
कुत्ता वफादार ही नहीं, बल्कि जानलेवा भी होता है। अगर यह आपको काट ले तो तुंरत यह उपाय कर लें, वरना जान से हाथ धोना पड़ सकता है। स्कूल जाने वाले बच्चों को अगर पहले ही वैक्सीन मिल जाए तो बच्चे को डॉग बाइट से मिलने वाले वायरस के बारे में जान सकते हैं।
कॉमन है काटना :
डॉग बाइट यानी कुत्ते का काटना सबसे कॉमन है। लगभग हर इलाके में कुत्ते होते हैं, जिनसे आपका सामना घरों, गलियों, पार्कों जैसी जगहों पर होता है। ज्यादातर लोग डॉग बाइट का शिकार इन जगहों पर खुले में घूमते कुत्ते के जरिए ही होते हैं। डॉग बाइट के तीन ग्रेड होते हैं। ये ग्रेड इस बात पर निर्भर करते हैं कि बाइट कितनी गहरी है।
कुत्ता करीब आए तो भी रहें सावधान :
-अगर कुत्ता प्यार से भी चाटता है, तो होशियार हो जाएं।
-अगर कुत्ते में रेबीज का इन्फ़ेक्शन होगा तो आपके शरीर में रेबीज के वायरस जाने की आशंका बनी रहती है, खासकर अगर कुत्ते ने शरीर के उस हिस्से को चाट लिया हो, जहां चोट की वजह से मामूली कट या खरोंच हो।
बरतें एहतियात :
-अगर किसी कुत्ते के काटने के बाद स्किन पर उसके एक या दो दांतों के निशान दिखाई पड़ते हैं, तो समझिए कि एहतियात बरतने की जरूरत है।
-ऐसे कई लोग हैं, जो यह सोचकर कि कुत्ते को रेबीज न रहा होगा, एक या दो दांतों के निशान को मामूली जख्म की तरह ट्रीट करते हैं।
-ऐसी अनदेखी घातक साबित हो सकती है, क्योंकि रेबीज का वायरस एक बार आपके शरीर में जाकर बरसों-बरस डॉर्मन्ट रह सकता है।
-कई बरस बाद जब यह अपना असर दिखाना शुरू करता है तो इलाज के लिए कुछ नहीं बचता।
क्या है रेबीज?
रेबीज एक वायरस होता है। अगर यह किसी जानवर में फैला हो और वह जानवर हमें काट ले खासकर कुत्ता, बिल्ली या बंदर तो हमें रेबीज हो सकता है।
लक्षण
-पानी से डर (हाइड्रोफोबिया) – प्यास के बावजूद पानी न पीना
-बात-बात पर भड़क जाना – बर्ताव में हिंसक हो जाना
नतीजा
रेबीज का वायरस सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर अटैक करता है, जिससे पीड़ित शख्स सामान्य नहीं रह पाता। बाद में तेज दर्द में चीख-पुकार मचाते हुए मरीज की मौत हो जाती है।
बचाव
इन सभी लक्षणों से बचना है तो कुत्ता, बिल्ली या बंदर के काटने के 24 घंटे के अंदर एंटी-रेबीज टीकों के जरिए इलाज शुरू करवा दें।
क्या करें काटने के बाद
डॉग बाइट के बाद जख्म को 15 मिनट तक चलते पानी में धोते रहे। वहां पट्टी कतई न बांधें। पहला एंटी-रेबीज इंजेक्शन 24 घंटे के भीतर जरूर लगवा लें। पास के अस्पताल या एंटी रैबीज क्लीनिक जाएं और कम से कम तीन डोज लगवाएं। यानी पहले दिन, तीसरे और सातवें दिन।