एम4पीन्यूज। 

मंत्री-अफसर समेत हर तरह के वीआईपी की गाड़ियों पर लाल, पीली और नीली बत्ती का इस्तेमाल आज यानि कि सोमवार से बंद हो जाएगा। अब किसी भी गाड़ी पर बत्ती लगी मिली तो मोटर व्हीकल एक्ट के तहत ट्रैफिक इंस्पेक्टर न सिर्फ बत्ती उतरवाएगा, बल्कि 3000 रुपए फाइन भी करेगा। बहरहाल, केंद्र ने यह बड़ा फैसला तो ले लिया, लेकिन अभी तक बत्ती का इस्तेमाल कर रहे नेताओं और रसूखदारों ने अपनी गाड़ियों पर हूटर सजा लिए हैं। लेकिन अब यह भी गैरकानूनी हो गया है। पहले कानून में हूटर का जिक्र नहीं था।

हूटर का सेंट्रल मोटर व्हीकल एक्ट में जिक्र नहीं है, फिर भी आरटीओ की इन्फॉर्मेशन में लाकर लोग इसे लगा लेते थे। 1 मई को केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन के बाद यह भी नहीं कर पाएंगे।

सिर्फ इमरजेंसी सर्विस वाली गाड़ियों पर होगी बत्ती
बता दें कि 19 अप्रैल को मोदी कैबिनेट ने सेंट्रल व्हीकल एक्ट में बदलाव को मंजूरी दी है। इसके मुताबिक, अब 1 मई से केंद्र या राज्य कहीं भी लाल बत्ती का इस्तेमाल नहीं हो सकेगा। सिर्फ इमरजेंसी सर्विस में नीली बत्ती लगाने की छूट दी गई है। कैबिनेट के इस फैसले के बाद नितिन गडकरी ने कहा था, ”सिर्फ इमरजेंसी सर्विस (एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड और पुलिस) के लिए बत्ती का चलन रहेगा, इसके अलावा नहीं। मैंने कार से लाल बत्ती को हटा दिया। ये आम आदमी की सरकार है। हम वीआईपी कल्चर खत्म कर रहे हैं।”

PMO में डेढ़ साल से पेंडिंग था मामला
बताया जा रहा है कि सरकारी गाड़ियों पर बत्ती का इस्तेमाल खत्म करने के लिए रोड एंड ट्रांसपोर्ट मिनिस्टरी काफी वक्त से काम कर रही थी। पीएमओ में यह मामला करीब डेढ़ साल से पेंडिंग था। इस मुद्दे पर चर्चा के लिए पीएमओ ने एक मीटिंग भी बुलाई थी, जिसमें कई बड़े ऑफिसर्स से बात की थी। फैसला कैसे लागू किया जाए, इस पर ट्रांसपोर्ट मिनिस्टरी ने अपनी अोर से पांच ऑप्शन्स दिए थे।

सबसे पहले AAP ने बंद किया था लाल बत्ती का इस्तेमाल
लाल बत्ती पर बैन सबसे पहले आम आदमी पार्टी ने 2013 में दिल्ली में सरकार बनने के बाद लगाया। 2015 में वह दोबारा सत्ता में आई तब भी नियम जारी रहा।
इस साल पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पहली कैबिनेट मीटिंग में लाल बत्ती को बैन कर दिया था। सबसे पहले खुद अमरिंदर ने अपनी कार से बत्ती उतारी थी। इसके बाद यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार के मंत्रियों ने फैसला किया था, वो अपनी कारों पर लाल बत्ती नहीं लगाएंगे।

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