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निर्भया गैंगरेप केसः बलात्कार और हत्या का एक ऐसा जघन्य मामला, जिसने सड़क से लेकर संसद तक और देश से लेकर दुनिया तक, हर जगह तहलका मचा दिया था. 16 दिसंबर, 2012 के बाद देश में बलात्कार जैसे मामलों पर एक बार फिर नए सिरे से बहस छिड़ चुकी थी. लोग सोचने पर मजबूर हो गए कि क्या हवस का दंश इतनी बेरहमी से इंसानियत का कत्ल करने पर भी आमादा हो सकता है. तारीख-दर-तारीख जानिए, क्या हुआ निर्भया गैंगरेप केस में अब तकः

16 दिसंबर, 2012: पैरामेडिकल की पढ़ाई कर रही निर्भया अपने दोस्त के साथ फिल्म देखकर मुनिरका से द्वारका की ओर अपने घर जा रही थी. बस में सवार होने के बाद उसने देखा कि बस में केवल पांच से सात यात्री सवार थे. अचानक वे सभी निर्भया के साथ छेड़छाड़ करने लगे. बस में उनके अलावा कोई और यात्री नहीं था. निर्भया के दोस्त ने छेड़छाड़ का विरोध किया, लेकिन उन सब लोगों ने उसके साथ मारपीट शुरु कर दी. उसे इतना पीटा गया कि वह बेहोश हो गया. जिसके बाद 6 आरोपियों ने निर्भया के साथ गैंगरेप और वहशीपन की सभी हदों को पार कर दिया.

18 दिसंबर, 2012: दरिंदगी की दास्तां धीरे-धीरे सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी. भीड़ का गुस्सा बढ़ने लगा. पुलिस ने केस की तफ्तीश तेज की और जल्द ही आरोपी राम सिंह, मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया. 21 दिसंबर को मामले में नाबालिग आरोपी को दिल्ली से और अक्षय ठाकुर को बिहार से गिरफ्तार कर लिया गया.

29 दिसंबर, 2012: निर्भया ने रात के करीब सवा दो बजे सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में दम तोड़ दिया.

3 जनवरी, 2013: पुलिस ने पांचों आरोपियों के खिलाफ हत्या, गैंगरेप, हत्या की कोशिश, अपहरण, डकैती आदि आरोपों के तहत चार्जशीट दाखिल की. निर्भया के माता-पिता ने सभी आरोपियों के लिए फांसी की सजा की मांग की.

17 जनवरी, 2013: फास्ट ट्रैक अदालत ने पांचों आरोपियों पर आरोप तय किए.

23 जनवरी, 2013: जस्टिस जे.एस. वर्मा की अगुवाई में एक जांच कमेटी गठित की गई.

28 जनवरी, 2013: स्पेशल पैनल ने अपील की कि इस केस में आरोपी नाबालिग पर अलग कोर्ट में सुनवाई की जाए. साथ ही उसके नाबालिग होने की वजह से उसके साथ कोई रियायत न बरती जाए.

11 मार्च, 2013: केस में मुख्य आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या की.

31 अगस्त, 2013: जिला मजिस्ट्रेट गीतांजलि गोयल की अध्यक्षता वाली जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजेबी) ने मेडिकल छात्रा के बलात्कार और हत्या के आरोप में नाबालिग को दोषी ठहराया और उसे 3 साल तक विशेष गृह में रखने की सजा सुनाई.

10 सितंबर, 2013: फास्ट ट्रैक अदालत ने चार अन्य आरोपियों को 13 अपराधों के लिए दोषी ठहराया.

13 सितंबर, 2013: सभी आरोपी मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को सजा-ए-मौत की सजा सुनाई गई.

13 मार्च, 2014: आरोपियों की फांसी की सजा के खिलाफ की गई अपील पर सुनवाई. दिल्ली हाई कोर्ट ने चारों दोषियों की मौत की सजा को बरकरार रखा.

18 दिसंबर, 2015: दिल्ली हाईकोर्ट ने नाबालिग दोषी के रिहा पर रोक की अर्जी पर सुनवाई से इनकार किया. किशोर को तीन साल सजा के बाद एनजीओ की निगरानी में रखने का आदेश दिया गया.

3 अप्रैल, 2016: 19 महीनों बाद एक बार फिर जस्टिस दीपक मिश्रा, वी. गोपाल गौड़ा और कुरियन जोसेफ की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट में निर्भया केस की सुनवाई की गई.

8 अप्रैल, 2016: वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन और संजय हेगड़े को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया गया.

11 जुलाई 2016 से 3 फरवरी 2017: निर्भया गैंगरेप केस में सुनवाई चली. दोषियों ने फांसी की सजा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और शीर्ष अदालत फिलहाल इस पर सुनवाई कर रही है.

27 मार्च, 2017: सुप्रीम कोर्ट ने केस की सुनवाई करते हुए दोषियों की फांसी के खिलाफ की गई अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रखा और 5 मई को फैसला सुनाने का आदेश दिया.

5 मई, 2017: इस केस में सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा.

 

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