लुधियानाकोचि जैसे शहरों में कराची टाइम किया जा रहा है फॉलो

एम4पीन्यूज|चंडीगढ

कहने को तो पूरे देश की घडिय़ां इंडियन स्टैंडर्ड टाइम के हिसाब से चल रही है लेकिन असल हकीकत यह है कि भारत में पाकिस्तान स्टैंडर्ड टाइम को फॉलो किया जा रहा है। कम से कम लुधियाना व कोचि जैसे शहर कराची टाइम के हिसाब से चल रहे हैं। यह चौंकाने वाला खुलासा बठिंडा की सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर फैलिक्स बास्ट ने किया है। बाकायदा मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंसेस ने भी इस मामले का संज्ञान लेते हुए जल्द ही पूरे मामले की गहनता से तहकीकात करवाने की बात कही है।

दरअसल, फैलिक्स बास्ट इंडियन अंटार्कटिका मिशन, 2017 के सदस्य हैं, जिसके चलते कुछ महीने पहले वह अंटार्कटिका दौरे पर गए थे। इस मिशन के दौरान उन्होंने अंटार्कटिका के भारती स्टेशन ऑफ इंडिया में रिसर्च करते हुए पाया कि भारती स्टेशन में कराची टाइम फॉलो किया जा रहा है।

इसी के साथ, पंजाब के लुधियाना और केरल के कोचि जैसे शहर में भी कराची टाइम ही फॉलो किया जा रहा है। खास बात यह है कि अंटार्कटिका का भारती स्टेशन व लुधियाना और कोचि शहर एक ही देशांतर रेखा पर स्थित हैं यानी इनका लॉन्गीट्यूड 76.2 ई हैं। कोई भी टाइम जोन इन्हीं रेखाओं को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है। इसलिए लुधियाना व कोचि में पाकिस्तान स्टैंडर्ड टाइम फॉलो किया जाना पूरी तरह विरोधाभासी हैं क्योंकि यहां पर इंडियन स्टैंडर्ड टाइम फॉलो होना चाहिए। बास्ट ने इस मुद्दे पर नेशनल सेंटर फॉर अंटार्कटिका एंड ओशियन रिसर्च के डायरैक्टर से भी बात की लेकिन उन्होंने इस बारे में पूरी तरह अनभिज्ञता जाहिर की। हालांकि जानकारी मिलने के बाद उन्होंने जल्द ही इस पूरे मामले को उच्चस्तर पर उठाने का भरोसा दिलवाया है।

Reply from NCAOR Director

प्रधानमंत्री तक उठाएंगे मुद्दा

फैलिक्स बास्ट इस मुद्दे को प्रधानमंत्री के स्तर तक पहुंचाना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने अंटार्कटिका के भारती स्टेशन पर फॉलो किए जा रहे कराची टाइम को चेंज करने के लिए व्यापक अभियान चलाने का आह्वान किया है।

5 साल पहले स्टेशन हुआ चालू लेकिन किसी ने नहीं दिया ध्यान

अंटार्कटिका में भारती स्टेशन को चालू हुए 5 साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है। इस स्टेशन में अब तक सैकड़ों वैज्ञानिक दौरा कर चुके हैं लेकिन किसी ने भी इस गंभीर मसले पर कोई ध्यान नहीं दिया। बास्ट के मुताबिक यह वाकई हैरानीजनक बात है कि कराची टाइम के हिसाब से ही सबकुछ किया जा रहा है। संभव है कि इसके पीछे कोई छुपा हुआ मकसद हो।

 

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