एम4पीन्यूज।चंडीगढ़ 

मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में सुरक्षा बलों की आतंकियों के साथ मुठभेड़ में मेजर सतीश दहिया शहीद हो गए. मुठभेड़ में नारनौल (हरियाणा) के रहने वाले मेजर सतीश दहिया समेत चार जवानों को गोली लग गई थी, गंभीर रूप से घायल मेजर को अस्पताल लाया गया था, जहां वे जिंदगी की जंग हार गए.

 

 

मेजर सतीश 30 आरआर के साथ अटैच थे, वे हंदवाड़ा ऑपरेशन को लीड कर रहे थे और वह 13 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे. सतीश दहिया सात साल पहले सेना में शामिल हुए थे, वहीं इस हमले में सीआरपीएफ की 45वीं बटालियन के कमांडिंग अफसर चेतन कुमार चीता समेत 10 जवान जख्मी हुए हैं. मेजर सतीश का दो साल का एक बेटा भी है. उनके शहीद होने के बाद उनके बेटे के साथ फोटो सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रही है.

 

J&K: हंदवाड़ा में शहीद हुए मेजर दहिया, पिता से बोले थे-ये आखिरी शब्द
J&K: हंदवाड़ा में शहीद हुए मेजर दहिया, पिता से बोले थे-ये आखिरी शब्द

मेजर सतीश दहिया का पार्थिव शरीर बुधवार शाम नारनौल में स्थित उनके गांव बनिहाड़ी पहुंचा और यहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. शहीद मेजर को उनकी तीन साल की बेटी प्रिया ने मुखाग्नि दी. शहादत से पहले मेजर दहिया ने अपनी पत्नी व माता-पिता से फ़ोन पर बात की थी और ये बातचीत उनकी आखिरी बातचीत बन कर रह गई.

 

पिता से बोले गए ये थे आखिरी शब्द :
सतीश दहिया के पिता अचल सिंह बताते हैं कि मंगलवार सवेरे करीब पौने 5 बजे फोन पर बात वह बेटे से फोन पर बात कर रहे थे। इस बीच पता चला कि आतंकी हमला हो गया। सतीश ने फिर कहा कि करते हुए बेटे ने कहा था आतंकी घुस आए हैं, इन्हें ढेर करके दोबारा कॉल करूंगा। सतीश ने कहा था कि पहले वह उनसे निपट आता है, उनका सफाया करके वापस आने के बाद बात करता हूं। इसके बाद कॉल आई तो जरूर, लेकिन बेटे की शहादत की।

 

पढ़ाई में भी अव्वल थे मेजर दहिया :
मेजर सतीश दहिया पढ़ाई में भी हमेशा अव्वल रहते थे। 5वीं तक की शिक्षा उत्तर प्रदेश के मोदीनगर में हुई थी। यहां उनके पिता फर्नीचर का कार्य करते थे। इसके बाद पिता गांव लौट आए और उनका दाखिला नांगल चौधरी के सरकारी स्कूल में करा दिया। यहां से 12वीं कक्षा पास करने के बाद कोटपूतली कालेज में दाखिला लिया और स्नातक में पूरे बैच को टॉप किया था। स्नातक करने के बाद राजस्थान यूनिवर्सिटी में इंगिलश में एम.ए. में प्रवेश लिया और सेना की तैयारी जारी रखी। एम.ए. करने के तुरंत बाद वर्ष 2008 में आर्मी में लैफ्टिनैंट भर्ती हो गए। अपनी बहादुरी के बल पर ही वे एक साल पहले मेजर बने।

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