एम4पीन्यूज
जहां एक ओर अमरीका और यूरोप में जोकर काम पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं वहीं भारत और हांगकांग जैसी जगहों पर जोकरों की भारी मांग है और वे सालों भर व्यस्त रहते हैं. इसकी वजह यह है कि यूरोप-अमरीका में मां-बाप आजकल बच्चों के डरने की वजह से जोकरों से परहेज कर रहे हैं. यूरोप-अमरीका में जोकरों को अपनी ज़िंदगी चलाने के लिए और भी काम करने पड़ते हैं लेकिन एशियाई देशों में ऐसा नहीं है.
मुंबई में रहने वाले मार्टिन डिसूज़ा एक जोकर हैं. मार्टिन ने फिजिक्स और मैनेजमेंट में दो-दो यूनिवर्सिटी डिग्रियां लेने के बावजूद जोकर बनने का फ़ैसला लिया. वो लोगों को हंसाने के अपने इस पेशे से अच्छा-खासा पैसा कमाते हैं. इसके अलावा वो जोकरों की एक एजेंसी भी चलाते हैं जिसमें 80 जोकर अपनी सेवाएं देते हैं.ये सभी यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्र हैं.
अपने परिवार की ओर से होने वाले आपत्ति के बावजूद 47 साल के मार्टिन ने जोकर बनने का फ़ैसला लिया था. वो कहते हैं कि जब वो अपने जोकर के किरदार में आते हैं तो अपने आप को ‘सशक्त’ महसूस करते हैं. मार्टिन का कहना है कि बहुत सारे भारतीय नौजवान जोकर बनने के पेशे को अपनाना चाहते हैं क्योंकि आज के नौजवान पढ़ाई-लिखाई और नौकरी से अलग हट कर कुछ करना चाहते हैं. मार्टिन भारतीय फिल्मों को भी शुक्रिया अदा करते हैं. आज की तारीख में मां-बाप यह कहते हुए नहीं शर्माते हैं कि उनका बेटा या बेटी एक जोकर का काम करता है.
हांगकांग के 35 साल के जोकर केन केन 15 सालों से इस काम में लगे हुए हैं और वो सालों भर बुक रहते हैं. वहीं एरिज़ोना की 52 साल की जूली वर्होल्ड्ट कहती हैं कि एक अमरीकी जोकर आम तौर पर एक साल में करीब साढ़े नौ लाख रुपये कमाता है जो कि केन केन की कमाई से पांच गुणा कम है.
पश्चिम में जोकर के पेशे को लोकप्रिय बनाने की जरूरत है जो जोकरों की मांग और उनकी कमाई में इजाफा करें.हो सकता है कि यह इतना आसान ना हो. हालांकि विसकोंसिन में क्लाउन कैंप के सह-मालिक केनी हर्न का कहना है कि वो इसे लेकर चिंतित नहीं है. वो कहते हैं, “मुझे उम्मीद है कि हंसने-हंसाने का यह काम बंद नहीं होने जा रहा है. यह यूं ही चलता रहेगा.”