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हिंदी सिनेमा के दमदार अभिनेताओं में से एक विनोद खन्‍ना का गुरुवार (27 अप्रैल) को मुंबई के एक अस्‍पताल में निधन हो गया। जानिए उनकी जिंदगी के बारे में ऐसी बातें, जो यकीनन आपने पहले नहीं सुनी होंगी। 6 अक्टूबर, 1946 को पाकिस्तान के पेशावर में जन्मे विनोद की जिंदगी की कहानी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं थी। करीब 140 फिल्‍मों में अदाकारी के जौहर दिखाने वाले विनोद खन्‍ना को हर किस्‍म के अभिनय का माहिर माना जाता था। 1968 में फिल्‍मी दुनिया में कदम रखने के बाद, विनोद ने ज्‍यादातर सेकेंड लीड रोल या नेगेटिव भूमिकाएं कीं।

PAK में जन्मे थे विनोद खन्ना, माली बनकर धोये टॉयलेट, फेल हुई थी लव स्टोरी
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करियर उफान पर था और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में विनोद खन्ना का डंका बज रहा था। दो बच्चों के साथ ही भरी-पूरी फिल्में थीं और शोहरत भी कदम चूम रही थी। लेकिन, इसी बीच एक ऐसी खबर आई जिसपर तो पहले लोगों को विश्वास भी नहीं हुआ। सन 1982 में विनोद खन्ना ने ओशो (उस समय आचार्य रजनीश के नाम से ही जाने जाते थे) से संन्यास ले लिया।

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भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद विनोद खन्ना का परिवार मुंबई आ गया था। मुंबई और दिल्ली में स्कूली पढ़ाई के बाद कॉलेज के दिनों के दौरान विनोद इंजीनियर बनना चाहते थे। पिता ने उनका एडमिशन कॉमर्स कॉलेज में भी करा दिया था, लेकिन विनोद का पढ़ाई में मन नहीं लगा। विनोद के अनुसार, कॉलेज लाइफ में उनकी कई गर्लफ्रेंड्स थीं। यहीं उनकी मुलाकात गीतांजलि से हुई। गीतांजलि विनोद की पहली पत्नी थीं। कॉलेज से ही उनकी लव-स्टोरी शुरू हुई थी।

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विनोद के मुताबिक, एक पार्टी के दौरान उनकी मुलाकात सुनील दत्त से हुई थी। सुनील एक फिल्म के लिए अपने भाई के किरदार के लिए किसी नए एक्टर की तलाश में थे। उन्होंने विनोद खन्ना को वो रोल ऑफर किया।

जानिए, वेटर्न एक्टर विनोद खन्ना के जीवन के छुए-अनछुए पहले
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लेकिन जब ये बात उनके पिता को पता चली तो वह नहीं माने। हालांकि, विनोद की मां ने उनके पिता को इसके लिए राजी कर लिया और दो साल का वक्त दिया। पिता ने कहा कि दो साल तक कुछ ना कर पाए तो फैमिली बिजनेस ज्वाइन कर लेना।

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ओशो से प्रभावित होकर विनोद खन्ना ने अपना पारिवारिक जीवन तबाह कर लिया था। विनोद अक्सर पुणे में ओशो के आश्रम जाते थे। यहां तक कि उन्होंने अपने कई शूटिंग शेड्यूल भी पुणे में ही रखवाए। दिसंबर, 1975 में विनोद ने जब फिल्मों से संन्यास का फैसला लिया तो सभी चौंक गए थे। बाद में विनोद अमेरिका चले गए और ओशो के साथ करीब 5 साल गुजारे। वो वहां उनके माली थे। वहां रहने के दौरान उन्होंने उनके टॉयलेट से लेकर जूठी थाली तक साफ की।

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अमेरिका में विनोद खन्ना तकरीबन चार साल तक रहे और अमेरिका द्वारा ओशो आश्रम बंद करने के बाद इंडिया आ गए। पत्नी उन्हें तलाक देने का फैसला कर चुकी थीं। फैमिली बिखरने के बाद 1987 में विनोद ने फिल्म ‘इंसाफ’ से फिर से बॉलीवुड में एंट्री की। दोबारा फिल्मी करियर शुरू करने के बाद विनोद ने 1990 में कविता से शादी की। दोनों का एक बेटा साक्षी और एक बेटी श्रद्धा खन्ना है। राजनीति में एक्टिव विनोद खन्ना अब कई फिल्मों में भी नजर आ रहे हैं।

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1997 में बीजेपी के मेंबर बनने के बाद विनोद नेता भी बन गए। वर्ष 1997 और 1999 में वे दो बार पंजाब के गुरदासपुर क्षेत्र से भाजपा की ओर से सांसद चुने गए। 2002 में वे संस्कृति और पर्यटन के केन्द्रीय मंत्री भी रहे। सिर्फ 6 माह पश्चात ही उनको अति महत्वपूर्ण विदेश मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री बना दिया गया। सलमान खान स्टारर ‘दबंग’ सीरीज की फिल्मों में अहम किरदार निभा चुके विनोद शाहरुख की ‘दिलवाले’ में भी नजर आए थे।

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1975 में विनोद खन्‍ना को ‘हाथ की सफाई’ के लिए बेस्‍ट सपोर्टिंग एक्‍टर का पहला फिल्‍मफेयर अवार्ड मिला। इसके बाद 1977, 79 में भी वह फिल्‍मफेयर के बेस्‍ट सपोर्टिंग कैटेगरी में नामित हुए। 1981 में कुर्बानी के लिए बेस्‍ट एक्‍टर की कैटेगरी में फिल्‍मफेयर नॉमिनेशन मिला। 1999 में फिल्‍मफेयर ने विनोद खन्‍ना को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्‍मानित किया। इसके अलावा भी विनोद खन्‍ना को ढेरों अवार्ड मिले।

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