-14 से 18 फरवरी बेंगुलुरु में होगा इसका दीदार
एम4पीन्यूज।
भारतीय वायुसेना के एकल-इंजन लड़ाकू विमानों के सौदे पर निगाह रखते हुए स्वीडन के रक्षा क्षेत्र की प्रमुख कम्पनी साब ने कहा कि अगर उसके ग्रिपेन ई विमान को इस सौदे में सफलता हासिल होती है तो वह भारत में वैश्विक स्तर का सबसे आधुनिक निर्माण केंद्र बनाएगी।
लड़ाकू विमान बनाने वाली स्वीडन की कंपनी साब ने अपने खास फाइटर प्लेन ग्राइपेन-ई को अपग्रेड किया है। कंपनी ने 18 मई को ही अगली पीढ़ी के इस विमान को पेश किया। साब का दावा है कि इस फाइटर प्लेन को 21वीं सदी की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अपग्रेड किया गया है। कंपनी ने भारत सरकार को प्रस्ताव भेजकर इस लड़ाकू विमान को ‘मेक इन इंडिया’ के तहत बनाने की बात भी कही है।
स्वीडन की डिफेंस और सिक्योरिटी कंपनी साब ने नई पीढ़ी का मल्टी-रोल फाइटर जेट पेश किया है। ग्रिपेन ई (Gripen E) प्रोटोटाइप 39-8 स्मार्ट फाइटर कम्पनी की लेटैस्ट प्रोडक्शन है। साब के मुताबिक, सिंगल सीटर ग्रिपेन ई इसके पुराने वर्जन (ग्रिपेन के) से ज़्यादा एडवांस है। इसमें अधिक से अधिक रेंज और सहनशीलता के साथ-साथ उन्नत हथियार और इलैक्ट्राॅनिक तरीके से लड़ने की क्षमता है।
1 घंटे में बदला जा सकता है इंजन
50 फीट लम्बे और 28 फीट लम्बे पंखों के साथ ग्रिपेन ई ज्यादा बड़ा फाइटर जेट तो नहीं है लेकिन 16,500 किलोग्राम वजन के साथ टेक ऑफ (उड़ान भरना) कर सकता है। मिशन के समय यह 10 मिनट में तैयार हो सकता है और जरूरत के समय इसके इंजन को 1 घंटे में बदला जा सकता है।
वज़न में हल्का और स्पीड से तेज़
ग्रिपेन लाइन का यह 6वां वेरिएंट है। ग्रिपेन ई को बेसिक डिजाइन के साथ लाइटवेट और तेजी से बदलाव के लिए चुस्त लड़ाकू विमान बनाया गया है। यह छोटे हवाई अड्डों और यहां तक कि सड़कों से संचालित होने की क्षमता भी रखता है।
50 साल तक दे सकेगा सर्विस
कम रखरखाव वाले डिजाइन के साथ पेश किया गया ग्रिपेन ई लगभग 50 साल की Service दे सकेगा। इसी के साथ इसमें फ्लैक्सिबल हार्डवेयर और बड़ी संख्या में वर्तमान के लगभग सभी हथियारों को फिट किया जा सकता है।
उड़ते समय भर सकता है ईंधन
ग्रिपेन ई में भी डैल्टा विंग, कनार्ड कॉन्फिग्रेशन और फ्लाई-बॉय-वॉयर फ्लाइट एवियोनिक्स (एवियोनिक्स एक इलैक्ट्रिक सिस्टम है जिसका प्रयोग एयरक्रॉफ्ट, आर्टिफीशियल सैटेलाइट और स्पेसक्रॉफ्ट में किया जाता है) का प्रयोग किया गया है लेकिन पुराने वर्जन के मुकाबले यह फ्यूल की बचत ज्यादा करता है।
20 प्रतिशत तक ज्यादा थ्रस्ट पैदा करता है
जनरल इलैक्ट्रिक एफ414जी जैट इंजन 20 प्रतिशत तक ज्यादा थ्रस्ट पैदा करता है। इसमें इन-फ्लाइट (उड़ते समय) ईंधन भरने की क्षमता है और यह नाटो कम्पैटिबल है।
2019 में दे सकता है सर्विस
पुराने ग्रिपेन जैट्स तो स्वीडन, साऊथ अफ्रीका, चैक रिपब्लिक, हंगरी और थाईलैंड की फोर्स में अपनी सर्विस दे रहे हैं लेकिन ग्रिपेन ई जैट्स 2019 तक स्वीडन और ब्राजील में अपनी सर्विस देनी शुरू कर सकते हैं।
मिसाइल के हमले से बचने के लिए देता है अलर्ट
इसके अलावा ग्रिपेन ई में ए.ई.एस.ए. (एक्टिव इलैक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे) है जो व्यक्तिगत रूप से लक्ष्यों को ट्रैक करता है और इसमें राडार जाम करने वाला सिस्टम भी लगा है।
दुश्मन के राडार को कर सकता है लॉक
साथ ही आर.डब्ल्यू.आर. (राडार वार्निंग रिसीवर) मिसाइल के हमले से बचने के लिए अलर्ट देता है और दुश्मन के राडार को लॉक कर सकता है, हालांकि एम.ए.डब्ल्यू (मिसाइल एप्रोच वार्निंग) सिस्टम आने वाली मिसाइलों को ट्रैक करता है।
1937 में हुई थी कंपनी की स्थापना
उल्लेखनीय है कि साब ग्रुप एक स्वीडिश एयरोस्पेस और डिफैंस कम्पनी है जिसकी स्थापना 1937 में हुई थी।